हमारा दोस्त किसान
न थकता है न लगती ठण्ड,
न गर्मी की धूप से घबराता,
न दिखावा उसे है भाता |
न भूख तड़पा सकी जिसको,
न प्यास का एहसास सताता,
देख किसी का धन वैभव,
न मन उसका है ललचाता |
खेती की प्यास देखकर,
वह थोड़ा सा सहम जाता,
धरती का बेटा है वो,
सूखी सी भूमि जोतकर,
हरियाली धरा पर फैलाता,
उसे यही काम है भाता,
सब्जी और अनाज उगाता |
अमीर ना जानता है ये,
अनाज कितनी मेहनत से आता |
उस किसान से पूछो,
एक दाना कैसे है कमाता |
ना हो अन्न तो हर इन्सान,
भूखा ही रह जाता,
अनजाने में ही एक किसान,
हमारा दोस्त बन जाता |