जय-जय हो लाल तुम्हारी
भारत धरा पुकारे, जय-जय हो लाल तुम्हारी,
तुमसे ही अस्तित्व है, तुम ही शान हमारी।।
तुझ जैसा जो लाल मिला, हुई है गोद पावन मेरी,
तुमने ही बतलाया, दुनिया को कीमत मेरी।।
तुझ मे छिपा है मेरा भविष्य, तुम ही जान हमारी,
भारत धरा पुकारे, जय-जय हो लाल तुम्हारी।।
चलो सदा विजय के पथ पर, तुमको ना रोक सके कोई,
स्वयं करो अपनी राह निश्चित, जिसको ना मोड़ सके कोई।।
तुम धन्य हो लाल मेरे, तुम्हे लग जाये उम्र मेरी,
भारत धरा पुकारे, जय-जय हो लाल तुम्हारी।।
एक लाल था नरेंद्र वो, जिसने शून्य से शिखर दिखाया,
इस बार भी एक नरेंद्र है, जिसने उन्हीं नियमो को अपनाया।।
योग, तपस्या, ध्यान और स्वच्छता दोनों की थी सीढी,
भारत धरा पुकारे, जय-जय हो लाल तुम्हारी।।
एक बार नहीं बारम्बार मुझे नरेंद्र एक चाहिए,
जो मर मिटे मेरी मर्यादा के लिए ऐसा सपूत चाहिए ।।
जो विश्वगुरु मान कर, पूजा करे सदा मेरी,
भारत धरा पुकारे, जय-जय हो लाल तुम्हारी।।