पिता का प्रेम
मधुर प्रेम जिनका था मुझपे,पर ना दिखाना जाने वो। जिनकी वाणी मे कठोरता,मन मे भरी कोमलता हो। है नभ से भी सर्वोपरि,जिनका हृदय इतना विशाल। अपने सपनों को त्याग नयन से,रखे हमारे सपने सम्भाल। अपने अरमनो का दे बलिदान,रखे हैं हृदय मे हमारे अरमान। जिनके लिए सब व्यर्थ निरा है,जिनसे हमारी है पहचान। कठिन श्रम …